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महावीर स्वामी और उनके अनमोल उपदेश

प्रकाशिनि मणि त्रिपाठी

वर्तमान समय में फ़ैल रहे कुकर्म,भ्र्ष्टाचार, द्वेष, प्रतिष्पर्धा के इस दौर में आवश्यक हो गया है कि हम महापुरुषों के द्वारा दिए गए उपदेशों को अपने जीवन में अपनाएं।आज महावीर जयंती के इस अवसर पर हम अपने मन को शुद्ध करते हुए महावीर स्वामी के दिए गए उपदेशों का पालन करें।

महावीर जयंती 17 अप्रैल बुधवार यानी की आज पूरे धूमधाम से मनाया जायेगा। यह जैन धर्म के लोगों का सबसे बड़ा पर्व है। जैनधर्मी इस पर्व पर रथयात्रा भी निकालते हैं।

महावीर स्वामी का जन्म 540 ईoपूo में वैशाली में हुआ था। यह जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर थें। सन्यासी जीवन को स्वीकार करने के बाद इन्होंने 12 वर्ष की कठिन तपस्या की जिसके पश्चात सम्पूर्ण ज्ञान का बोध हुआ। महावीर जी अपने अनुयायियों को सत्य का उपदेश देते थे उनके कहना था सत्य के अतिरिक्त कुछ भी नही।

महावीर ने जैन धर्म के त्रिरत्न बताया- सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक आचरण, इसके साथ ही पांच महाव्रतों के का पालन भी अनिवार्य बताया- सत्य,अहिंसा,वचन,अस्तेय,अपरिग्रह एवं ब्रह्मचर्य।

जैन धर्म में इन तीन रत्नों और पांच महाव्रतों के पालन को अनिवार्य बताया गया है। आज महावीर जयंती पर इन महाव्रतों का पालन सभी को करना चाहिए।

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