पुर्तगालियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए थे गोरखपुर के श्याम बिहारी शाही..

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गोरखपुर।

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सुनील गहलोत।

‘ शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले,
वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा’।
जगदंबा प्रसाद मिश्र की उक्त पंक्तियां शहीद श्याम बिहारी शाही पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं।गोवा, दमन और दीव को साढ़े चार सौ साल के पुर्तगाली अधिपत्य से आजाद कराने में गोरखपुर जनपद के चिल्लूपार क्षेत्र के ददरी गांव निवासी शहीद श्याम बिहारी शाही की महती भूमिका रही।समुद्र में पुर्तगालियों से लोहा लेने के दौरान उनका शरीर गोलियों से छलनी हो गया।लेकिन उन्होंने साहस व धैर्य नहीं त्याग और आखरी सांस तक कई पुर्तगालियों को मार गिराया।

पिता सर्वदेव शाही व माता तुला शाही के लाल श्याम बिहारी शाही ने वर्ष 1950 में सेना के राजपूत रेजिमेंट में भर्ती हुए थे।उनका आर्मी नंबर 2937965 था।उन्होंने पैरा कमांडो का प्रशिक्षण लेकर बटालियन 20 राजपूत जॉइन किया।18 दिसंबर 1961 को ऑपरेशन विजय के तहत सेना के सात लोगों की टुकड़ी के साथ दीव सेक्टर समूह में बोट(किस्ती) से सीमा की निगरानी कर रहे थे।इसी दौरान घात लगाए पुर्तगालियों द्वारा जवानों पर फायरिंग शुरू कर दी गई।शहीद श्याम बिहारी शाही ने सेना का नेतृत्व करते हुए पुर्तगालियों के विरुद्ध जवाबी फायरिंग शुरू कर दिया।इस घटना में उनके छह साथी जवान शहीद हो गए।