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तो क्या ये माना जाए कि सरकार जानबूझ कर छात्रसंघ चुनाव नहीं कराना चाहती!

आयुष द्विवेदी
गोरखपुर।

विश्वविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव आखिर कब होंगे इसका सभी छात्रों को इंतजार हैं परन्तु सरकार इसपर अपना रुख साफ करने के मूड में दिखाई नहीं दे रही हैं।हम ऐसा इसलिए बोल रहे हैं क्योंकि छात्रसंघ चुनाव पर कोई भी सत्ता का नेता बयानबाजी से बच रहा हैं।अब तो ये माना जाने लगा हैं कि सरकार ने छात्र राजनीति का क,ख,ग सीख रहे छात्र नेताओं को झटका देना शुरू कर दिया है। अगर सूत्रों की माने तो उनके अनुसार सरकार ये चाहती ही नहीं की विश्वविद्यालयों और उससे सम्बंधित कॉलेजो में चुनाव हो।सूत्रों के अनुसार सरकार को लगता है कि अगर विश्वविद्यालयों में चुनाव होता है तो 2019 के लोकसभा में उसका असर देखने को मिल सकता हैं।क्योंकि अगर छात्रसंघ चुनाव में ABVP हारती हैं तो इसका सीधा असर बीजेपी को 2019 के चुनाव में देखने को मिल सकता हैं।बीजेपी को लगता हैं कि अगर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद(ABVP) हारती है तो बीजेपी को तगड़ा झटका लगेगा।कारण यह की ABVP को बीजेपी समर्थन करती है और हार होने पर विपक्ष सहित छात्र राजनीति से जुड़े युवा इसे मुद्दा बना देंगे।सरकार इसीलिए छात्रसंघ चुनाव के मुद्दे पर खामोश हैं।सूत्रों की माने तो विश्वविद्यालयों को यह निर्देश दिया गया है कि सितंबर तक वह छात्रों को शांत रखे क्योंकि इसके बाद छात्र खुद परीक्षा में व्यस्त हो जाएंगे और छात्रों का ध्यान एग्जाम के तरफ चला जाएगा और इससे चुनाव से बचा जा सकता है।खैर अब सरकार की मंशा जो भी हो पर जिस तरह से आये दिन छात्र चुनाव कराने के लिए प्रदर्शन करते रहते हैं उसपर सरकार को निर्णय लेना चाहिए जिससे अन्य छात्रों को दिक्कत ना हो।

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