गोरखपुर में लोकसभा चुनाव के लिए 19 मई को वोट डाले जाएंगे यानी सातवें और आखिरी चरण में गोरखपुर सहित तमाम जगहों पर वोटिंग होगी। इस समय सबकी निगाहें गोरखपुर सीट पर टिकी है कि आखिर इस सीट से जीतेगा कौन? पिछले 5 बार से लगातार जीत रहे योगी आदित्यनाथ की इस सीट पर 2018 के उपचुनाव में गठबंधन प्रत्याशी प्रवीण निषाद ने जीत दर्ज की थी।
इस जीत के बाद पूरे देश मे इस सीट की चर्चा थी। मगर इस बार बीजेपी कोई गलती नहीं करना चाहती और इसीलिए पार्टी ने इस सीट से फ़िल्म अभिनेता रवि किशन को मैदान में उतारा है। मगर रवि किशन को टिकट मिलने के बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं में काफी रोष है, रवि किशन पर आरोप है कि ये बाहरी उम्मीदवार है और पार्टी को चाहिए था कि किसी जमीनी कार्यकर्ता जो गोरखपुर से तालुख रखता हो उसको टिकट दें।
अब इसका असर वोटिंग पर क्या पड़ता है ये तो आने वाला समय ही बताएगा। खैर याद करिये 2009 का लोकसभा चुनाव आज बीजेपी के सांसद और दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का पदभार सम्भाल रहे मनोज तिवारी उस समय समाजवादी पार्टी में हुआ करते थे। मनोज तिवारी को समाजवादी पार्टी ने ही राजनीति में उतारा और गोरखपुर सीट से चुनाव लड़वाया। मगर योगी आदित्यनाथ के सामने मनोज तिवारी चल न सके और जनता ने मात्र मनोज को अस्सी हजार वोट ही दिया।
फ़िल्म अभिनेता मनोज तिवारी को गोरखपुर छोड़ना पड़ा। जिसके बाद मनोज तिवारी अपने काम मे लग गए और कहते है ना कि सत्ता का लालच जिसे लग जाये वो फिर हमेशा ही इसका स्वाद चखना चाहता है तो 2012 में मनोज तिवारी ने पार्टी बदला और शामिल हो गए बीजेपी में। जिसके बाद बीजेपी ने 2014 के आम चुनाव में मनोज तिवारी को उत्तर पूर्वी दिल्ली से टिकट दिया और मोदी लहर में मनोज ने जीत दर्ज की।
वहीं मौजूदा गोरखपुर के बीजेपी प्रत्याशी रवि किशन 2014 में कांग्रेस के नेता हुआ करते थे और उस समय जौनपुर से उन्होंने चुनाव भी लड़ा था वो अलग बात है कि जनता ने जौनपुर से भी रवि किशन को नकार दिया। अब सवाल उठता है कि
क्या कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए रवि किशन क्या गोरखपुर से अपनी लाज बचा पाएंगे?
क्या गोरखपुर की जनता मनोज तिवारी की तरह रवि किशन को भी नकार देगी?
गोरखपुर से जनता एक फिल्म अभिनेता अपना सांसद चुनेगी?