टेक्नोलॉजी के जमाने में सोनौली में No Network

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महराजगंज से गणेश पटेल की रिपोर्ट
नेपाल सीमा से सटे भारतीय क्षेत्र के कस्बे और गांव भारत का हिस्सा हैं, इसमें कभी कभी संदेह होता है। सरकार की ओर से हासिल कई सुविधाएं इनके हिस्से से दूर रहती हैं। मसलन मोबाइल कनेक्टिविटी को ही लें। आज जब डिजिटल इंडिया बनाने की बात हो रही है, ऐसे दौर में भी नेपाल की सरहद से सटे गांवों और कस्बों में निवास करने वाली लाखों की आबादी 2जी मोबाइल कनेक्टिविटी को भी तरस रही है।

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ऐसा नहीं है कि यहां तक मोबाइल सेवा पहुंची ही ना हो। बीएसएनएल की जब मोबाइल सेवा शुरू हुई थी तब नेपाल सरहद के किनारे क्या नेपाल के कुछ दूर अंदर तक इसकी फ्रिक्वेन्सी काम कर रही थी।इसी बीच सरहद पर आईएसआई की सक्रियता,जाली नोटों के बढ़े कारोबार और आतंकी संगठनों के आमदरफ्त को देखते हुए सुरक्षा कारणों से वर्ष 2007-2008 में नेपाल सीमा पर मोबाइल नेटवर्क फ्रीज कर दिया गया।इसका असर सिद्धार्थनगर और महराजगंज जिले से लगने वाली करीब 150 किमी नेपाल सीमा पर बसे भारतीय इलाके की आवादी पर भी पड़ा।इस इलाके की करीब एक लाख आवादी मोबाइल सेवा से मरहूम है।आज जब गरीब और मजदूर तबके के लोग मोबाइल से देश दुनिया से जुड़े हुए हैं वहीं इस इलाके के लोग दूरदराज रह रहे अपने परिजनों का हालचाल लेने को तरसते हैं।

मोबाइल से वंचित इलाके के अधिकांश भारतियों को नेपाल के मोबाईलो पर निर्भर रहना पड़ता है जहां उन्हें अधिक कीमत चुकाने को मजबूर होना पड़ता है।
यह दुश्वारी सिद्धार्थनगर जिले के बढ़नी से लेकर महराजगंज के ठूठीबारी इलाके के लोगों को झेलनी पड़ रही है।लोगों का कहना है कि यदा कदा बहुत कसरत करने पर छत या पेड़ पर चढ़ने पर किसी कंपनी का नेटवर्क पकड़ता है लेकिन बात हो पाना मुश्किल होता है।

नेपाली सिम का हो रहा उपयोग, राजस्व को लग रही चपत

सुरक्षा कारणों से भले ही ऐसा किया गया हो लेकिन इससे सुरक्षा एजेंसियों की मंशा फलीभूत होती नहीं दिख रही है।कारण कि नेपाल सीमा के भारतीय इलाकों में जहां मोबाइल सेवा फ्रीज है वहां नेपाली कंपनियों के मोबाइन नेटवर्क खूब काम कर रहे हैं।वेशक भारतीय मोबाइल सेवा की अपेक्षा यह मंहगा है बावजूद इसके इस इलाके के हजारों लोग नेपाली सिम का धड़ल्ले से उपयोग कर रहे हैं।इससे मोबाइल के मद का जो धनराशि भारत के खाते में आना चाहिए वह आराम से नेपाल के राजस्व वृद्धि में योगदान कर रहा है।नेपाली मोबाइल कंपनियों के सिम लेने के लिए आईडी प्रूफ जरूरी है भले ही वह भारत का ही क्यों न हो।

वैसे भी नेपाल सीमा के अधिकांश लोगों को नेपाली सिम हासिल करने में खाश दिक्कत नही होती क्योंकि वे पहले से ही दोनों देशों के नागरिकता धारण किए हुए होते हैं।हालाकि यह गैरकानूनी है लेकिन इस पर अंकुश लगाने की अभी तक की हर कोशिश बेकार गई है।

इधर नेपाल में स्मार्ट मोबाइल लांच हुआ है। इस मोबाइल नेटवर्क के सिम के लिए किसी आईडी की जरूरत नहीं पड़ती। नेपाल में इस नेटर्वक के सिम अपने यहां गुटखा के तर्ज पर बच्चे बेचते हुए दिख जाएंगे