टिक टॉक से बैन हटा, ‛बेरोजगारों’ को फिर से मिला ‛रोजगार’

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17 अप्रैल को पॉपुलर चीनी ऐप Tik Tok भारत में गूगल प्ले स्टोर और ऐपल ऐप स्टोर से हटा लिया गया. वजह ये थी कि मद्रास हाई कोर्ट ने इसे बैन करने फैसला किया था. 3 अप्रैल को तामिलनाडु की एक कोर्ट ने सरकार से Tik Tok ऐप बैन करने को कहा था. कोर्ट कहना ये था कि Tik Tok पॉर्नोग्राफी को बढ़ावा देता है.

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कोर्ट ये फैसला एक PIL के बाद आया जिसमें एक शख्स ने Tik Tok बैन करने के लिए PIL फाइल की थी. IT मिनिस्ट्री के एक अधिकारी के मुताबिक मद्रास हाई कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने गूगल और ऐपल को लेटर लिख कर Tik Tok ऐप को अपने प्लेटफॉर्म से हटाने को कहा. आखिरकार गूगल ने 18 अप्रैल को Tik Tok ऐप पर बैन लगाया और अपने स्टोर से हटा लिया यानी डाउनलोड पर रोक लग गई.

मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच ने Tik Tok से बैन हटाने का फैसला किया है. Tik Tok बयान आ चुका है. Tik Tok ने कहा है, ‘हम इस फैसले से खुश हैं और हमें विश्वास है कि इस फैसले का स्वागत टिक टॉक कम्यूनिटी भी करेगी. हम हमारे यूजर्स को बेहतर तरीके से सर्व किए जाने के लिए दिए गए इस मौके के लिए आभारी हैं. हम लागातर अपने प्लेटफॉर्म को गलत इस्तेमाल होने से रोकेंगे और काम यहीं खत्म नहीं होता है. हम अपनी सेफ्टी फीचर्स को बेहतर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

हालांकि डाउनलोड पर रोक तो लगी, लेकिन फिर भी जिनके पास टिक टॉक ऐप था वो इसे यूज कर रहे थे. इसे कंपनी का नुकसान भी हुआ है और रिपोर्ट के मुताबिक इस बैन से हर दिन कंपनी को 5 लाख डॉलर का नुकसान हो रहा था. निश्चित तौर पर ये कंपनी के लिए बड़ी राहत की खबर है. लेकिन अब पूरी उम्मीद है कि कंपनी अपनी पॉलिसी में कुछ बदलाव करेगी, ताकि भविष्य में ऐसा न हो.