क्या राम मंदिर बनवाना,बीजेपी के लिए जुमला मात्र हैं !

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आयुष द्विवेदी
गोरखपुर।

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गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में करारी हार के बाद सियासी गलियारों में बीजेपी की हैसियत कम हो गयी हैं।बीजेपी को खुद समझ में नहीं आ रहा है कि 2019 के आम चुनाव में फिर से जो मुद्दे उपचुनाव में उठाये थे वो मुद्दे को उठाए या नहीं ?
अपने मुँहफट बयानों के वजह से चर्चा में रहने वाले बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने तो यहाँ तक कह दिया कि अगर बीजेपी 2019 के आम चुनाव के पहले अयोध्या में राम मंदिर नहीं बनवा पायी,तो उसे हार का भी सामना करना पड़ सकता है।राजनीति के जानकारों की माने तो उपचुनाव के बाद बीजेपी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा और इसको लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस)चिंतित है।अगर राम मंदिर का फैसला चुनाव के पहले नहीं आता है,तो बीजेपी के लिए और भी मुश्किल हो जाएगा।वैसे हर विधानसभाओं और अन्य चुनावो में बीजेपी के मेनिफेस्टो में राम मंदिर रहा है और इसको आस्था का केंद्र बिंदु बना कर ही बीजेपी चुनाव लड़ती हैं।बीजेपी इस बात को अच्छे तरिके से जानती है की इस मुद्दे को चुनाव में खूब भुनाया गया लेकिन जनाब वो कहते है ना कि,ये पब्लिक है,ये सब जान चुकी है।क्योंकि बहुत से लोगो का तो यह भी आरोप है की बीजेपी जानबुझकर इसे मुद्दा तो बनाती है लकिन इसपर कोई पहल नहीं करती।वही क़ानूनी जानकारों की माने तो यह मुद्दा पर फैसला 2019 के आम चुनाव के बाद ही आएगा,क्योंकि अब इस पर बीजेपी तेजी नहीं दिखा रही है।वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड का कहना है,कि 2019 के आम चुनाव के पहले अगर फैसला आता है तो शायद बीजेपी के पक्ष में माहौल बन सकता है।खैर यह तो है,आस्था का विषय बनाने वाली बात,बीजेपी का इस मुद्दे पर अबकी बार पूरी तरह से इस पर गंभीर होना यह बताता जरूर है की बीजेपी जल्द से जल्द अदालत का फैसला चाहती है। क्योंकि 2 दशक के ऊपर से उसके मैनिफेस्टो से इसे वह हटाना चाहती है,क्योंकि इस मुद्दे को उठाने पर जनता को सिर्फ बीजेपी के द्वारा बोला गया बात ,जुमला लगता है ।