जब जब वेलेंटाइन डे आता है, सोशल मीडिया पर एक पोस्ट और उससे जुड़ी तस्वीर तेजी से वायरल होने लगती है। युवाओं से अपील की जाती है कि वेलेंटाइन डे नही बल्कि शहीद दिवस मनाएं। पहले शुरुआत में ये कहा जाता था कि इस दिन भगत सिंह को फांसी की सजा हुई थी।
जब यह पोस्ट वायरल हुआ तो लोगो के मन मे उत्सुकता जागी और कुछ मीडिया संस्थानों ने रिसर्च किया तो पता चला कि 23 मार्च 1931 को भगत सिंह फांसी दी गयी थी।
अब पिछले कुछ सालों में यह खबर फैलाई जा रही है कि भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव को इसी दिन फांसी की सजा सुनाई गई थी। यह पोस्ट आपको हर जगह आसानी से देखने को मिल जाएगी। लेकिन जब हमने इस तथ्य की जांच की तो हमें यह तथ्य भी गलत मिला। हमें जांच में पता चला कि 26 अगस्त, 1930 को अदालत ने भगत सिंह को भारतीय दंड संहिता की धारा 129, 302 तथा विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 4 और 6एफ तथा आईपीसी की धारा 120 के अंतर्गत अपराधी सिद्ध किया। 7 अक्तूबर, 1930 को अदालत के द्वारा 68 पृष्ठों का निर्णय दिया, जिसमें भगत सिंह, सुखदेव तथा राजगुरु को फांसी की सजा सुनाई गई।
अब हमने जांच करने की ठानी की आखिर 14 फरवरी से भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का क्या सम्बन्ध है? जांच में हमे पता लगा कि पं. मदन मोहन मालवीय ने वायसराय के सामने सजा माफी के लिए 14 फरवरी, 1931 को अपील दायर की कि वह अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए मानवता के आधार पर फांसी की सजा माफ कर दें।
अब सोचने वाली बात ये है कि इस तरह के झूठ क्यो फैलाये जाते हैं? शहीदों का सम्मान होना चाहिए लेकिन झूठे तथ्यों के आधार पर बिल्कुल नही।
भारत जैसे में जहाँ बलात्कार, हिंसा और नफरतों का माहौल बढ़ रहा है वहां प्यार के इस त्यौहार से इतनी खुन्नस क्यों रखी जाती है इसका जवाब किसी के पास नही है।