गोरखपुर।
आमी, राप्ती, रोहिणी नदी और रामगढ़ताल झील में प्रदूषण रोकने को लेकर हो रही लापरवाही पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कड़ी नाराजगी जताई है। गुरुवार को नगर निगम पर पांच लाख और प्रदेश सरकार पर एक लाख का जुर्माना लगाते हुए,एनजीटी ने सम्बन्धित संस्थाओं को प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण और उन्हें प्रदूषण मुक्त बनाने के प्रति गम्भीर होने का संदेश दिया।
गोरखपुर क्षेत्र की नदियों को प्रदूषण से बचाने और उनको स्वच्छ रखने के लिए एनजीटी में विश्विजय सिंह बनाम उत्र प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, मीरा बनाम म्यूनिसिपल काॅरपोरेशन गोरखपुर और सुनीता पांडेय बनाम भारत सरकार तीनों मामलों की एक साथ सुनवाई हो रही है। लगातार सरकारी उदासीनता के चलते एनजीटी प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण और उन्हें प्रदूषण मुक्त बनाने के प्रति गम्भीर हो गया है।
बीते 30 जनवरी को एनजीटी ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आदेश दिया था कि गोरखपुर नगर निगम, उत्तर प्रदेश सरकार, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, गीडा, मगहर-खलीलाबाद नगर पंचायत सहित अन्य संबंधित विभाग आमी,राप्ती,रोहिणी और रामगढ़ ताल के प्रदूषण पर रोक की ठोस कार्ययोजना बनाए।
यही नहीं कार्ययोजना बनाने के साथ ही तत्काल प्रभाव से इन संस्थाओं से नदियों और झील में शहरी और औद्योगिक कचरे के बिना शोधन निस्तारण पर तत्काल रोक लगाने का आदेश भी दिया था। लेकिन गुरुवार को सुनवाई के समय कार्यवाहियों की कोई ठोस रूपरेखा प्रस्तुत नहीं कर पाने पर एनजीटी ने नाराजगी जताई। इसके साथ ही नगर निगम और प्रदेश सरकार पर जुर्माना भी लगाया।अब इस पर अगली सुनवाई 10 मई को होगी।