नमन : आज ही के दिन हुई थी इन सेनानियों को फांसी
महान स्वतंत्रता सेनानी राम प्रसाद बिस्मिल (Ram Prasad Bismil), अशफाक उल्ला खां (Ashfaqulla khan) और रोशन सिंह (Roshan Singh) को आज ही के दिन 19 दिसंबर 1927 को फांसी दी गई थी. आज के इस दिन को बलिदान दिवस (Balidan Diwas) के रूप में मनाया जाता है. भारत को आजादी दिलाने के लिए राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और रोशन सिंह ने अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया था. आजादी के इन मतवालों को काकोरी कांड को अंजाम देने के लिए सूली पर चढ़ाया गया था. 9 अगस्त 1925 की रात चंद्रशेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल (Ram Prasad Bismil), अशफाक उल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी और रोशन सिंह सहित कई क्रांतिकारियों ने लखनऊ से कुछ दूरी पर काकोरी और आलमनगर के बीच ट्रेन में ले जाए जा रहे सरकारी खजाने को लूट लिया था. इस घटना को इतिहास में काकोरी कांड के नाम से जाना जाता है. इस घटना ने देश भर के लोगों का ध्यान खींचा. खजाना लूटने के बाद चंद्रशेखर आजाद पुलिस के चंगुल से बच निकले, लेकिन राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी और रोशन सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई. बाकी के क्रांतिकारियों को 4 साल की कैद और कुछ को काला पानी की सजा दी गई.
राम प्रसाद बिस्मिल
राम प्रसाद बिस्मिल (Ram Prasad Bismil) भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की क्रांतिकारी धारा के एक प्रमुख सेनानी थे. उनका जन्म उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में हुआ था. उन्होंने काकोरी कांड में मुख्य भूमिका निभाई थी. वे एक अच्छे शायर और गीतकार के रूप में भी जाने जाते थे.
अशफाक उल्ला खां
अशफाक उल्ला खां (Ashfaqulla khan) का जन्म शाहंजहांपुर में हुआ था. उन्होंने काकोरी कांड में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. अशफाक उल्ला खां उर्दू भाषा के बेहतरीन शायर थे. अशफाक उल्ला खां और पंडित रामप्रसाद बिस्मिल गहरे मित्र थे.