बुलंदशहर हिंसा को लेकर माना जा रहा है कि यदि यह हिंसा एक घंटे बाद होती तो पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर दंगे जैसे हालात हो सकते थे। हिंसा की चिंगारी पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक बड़ी आग बनकर भड़क सकती थी। शासन को भेजी गई गोपनीय रिपोर्ट में भी यही आशंका जताई गई है। आशंका पर मुख्यमंत्री ने भी मुहर लगा दी है।
प्रदेश से लेकर देश तक की सियासत में भूचाल ला रही बुलंदशहर के स्याना की घटना आकस्मिक है या फिर बड़ी साजिश, इसको लेकर एडीजी इंटेलीजेंस और एसआईटी जांच में जुटी है। लेकिन घटनास्थल पर जो साक्ष्य मिले हैं, उन्हें प्रथम दृष्टया देखकर अधिकारी भी एक बड़ी साजिश की आशंका जता रहे हैं। अफसर इस पूरे प्रकरण को आकस्मिक मानने को तैयार नहीं हैं। उन्हें इसमें साजिश की बू ही अधिक आ रही है। वरिष्ठ अधिकारिक सूत्रों की मानें तो वहां पर सारे हालात ऐसे थे कि लोगों की भावनाएं भड़कें और हिंसा हो, इसके लिए ही गोवंश के अवशेषों को वहां पर ऐसे फेंका गया था कि वह दूर से दिखें।
अगस्त माह से ही यहां के लोग गोवंश कटान की शिकायतें लगातार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से कर रहे थे। उनमें गोवंश को लेकर गुस्सा भी था। गोवंश के अवशेषों को भारी मात्रा में देखकर ही लोगों का गुस्सा भड़का और उन्होंने वहां पर जाम लगाया। यदि यह जाम और आगजनी की घटना और एक घंटे बाद होती तो फिर इसे संभालना आसान नहीं था, क्योंकि उस दौरान वहां पर इज्तमा से लौट रहे दूसरे समुदाय के लोगों के वाहन बड़ी संख्या में होते और दोनों के बीच टकराव हो सकता था और यह टकराव बुलंदशहर से शुरू होकर पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फैलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसमें बड़ी संख्या में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोग भी थे।
गोकशी की सूचना पर सबसे पहले महाव गांव पहुंचने वाले प्रशासनिक अधिकारियों में तहसीलदार राजकुमार भास्कर थे। जिनका कहना था कि खेतों में रखे गोवंश के अवशेष देखकर लग रहा था कि यह साजिश है और किसी ने माहौल बिगाड़ने के लिए ही उन्हें वहां रखा गया है। क्योंकि इन्हें इस तरह खेतों में रखा गया था कि वो दूर से ही दिख रहे थे, यदि कोई गोकशी करता तो वह इन अवशेषों को छिपाने का प्रयास करता