अखिल भारतवर्षीय गोंड़ महासभा नें जिलाधिकारी को सौंपा ज्ञापन

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उत्तर प्रदेश: अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष श्री बृजलाल को राज-पत्र की गलत व्याख्या करने उ0प्र0 के गोंड(धुरिया)खरवार जातियों को सवैधानिक अधिकारों से वंचित करने,पड़यंत्र के तहत उ0प्र0 के विभिन्न जनपदों में व्यक्तिगत रूप से जिलाधिकारी पर दबाव बना कर उत्पीड़नकारी कार्यवाही को रोकने तथा तत्काल प्रभाव से आयोग से बर्खास्त कर न्याय करने के सम्बंध में आज अखिल भारतवर्षीय गोंड़ महासभा द्वारा राज्यपाल को ज्ञापित करतें हुए जिला अधिकारी को ज्ञापन दिया गया तथा तत्काल कार्यवाही की मांग किया गया है।

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गोंड महासभा ने यह भी कि अगर जल्द कोई कार्यवाही नही हुयी तो भीषण आंदोलन किया जाएगा।

गोंड महासभा द्वारा निम्नलिखित मांग की गई है

1-यह कि उ0प्र0 अनुसूचित जाति/अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण सांख्य -7704 छब्बीस-77-17(21)-74 दिनांक 29 अगस्त 19477द्वारा क्षेत्रीय प्रतिबंध समाप्त कर पूरे प्रदेश गोंड़ एवं कोरी जाति को अनुसूचित जाति में सम्मलित कर दिया गया है।

2-यह कि 08 जनवरी 2003 संशोधिता अधिनियम 2002 भारत के राज-पत्र के द्वारा 13 जनपद के गोंड़ एवं उनकी उपजातियों को अनुसूचित जनजाति में घोषित कर दिया गया ।

3-यह कि 111 भा0सं0/26.03.2003/3/(7)/2003 द्वारा उत्तर प्रदेश शासन ने शासनादेश जारी करते हुए गोंड़,धुरिया जनजाति तथा शेष 57 जनपदों में अनुसूचित जाति में सरकार ने रखा।

4-यह कि 1891 की जनगणना के अनुसार पूरे उत्तर प्रदेश में गोंड़ जाति लाखों-लाख की संख्या में पाया जाती है।

जिसमें अखिल भारतवर्षीय गोंड़ महासभा द्वारा जिला अध्यक्ष सतीश चंद्र गोंड़ व जिला उपाध्यक्ष शिव शंकर गोंड़ के नेतृव में एक प्रतिनिधि मंडल ने जिला अधिकारिय से मिल के मांग की जिसमें प्रशान्त कुमार, शुभभ गोंड़,इंद्रजीत गोंड़,कुलदीप गोंड़,रजत गोंड़,पुष्कर गोंड़,अनिकेत गोंड़,भोला गोंड़
भवदीय
शिव शंकर गोंड़
छात्रनेता गोरखपुर विश्वविद्यालय
जिला उपाध्यक्ष अखिल भारतवर्षीय गोंड़ महासभा 9807022435,8418928898