न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जसिंदा आर्डन ने गुरुवार को ऑकलैंड के एक अस्पताल में बेटी को जन्म दिया है. आर्डन ने जनवरी में घोषणा की थी कि वे मां बनने वाली हैं. उस समय भी दुनियाभर में उनकी काफी चर्चा हुई थी. फिलहाल न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री आर्डन डेढ़ महीने के लिए मैटरनिटी लीव पर हैं और इस दौरान उनका कामकाज उपप्रधानमंत्री विंस्टन पीटर्स बतौर प्रभारी प्रधानमंत्री संभाल रहे हैं. यह खबर आने के बाद से लोग पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रहीं बेनजीर भुट्टो को भी याद करते नजर आ रहे हैं. दरअसल वे पहली राष्ट्रप्रमुख थीं, जो अपने पद पर रहने के दौरान मां बनी थीं. हालांकि आज बेनजीर भुट्टो को याद करने की एक वजह यह भी है कि आज उनका जन्मदिन है.
वैसे तो किसी आम महिला के लिए भी मां बनना हमेशा चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन अगर हम राजनीति के क्षेत्र की और वह भी देश का शीर्ष कार्यकारी पद संभालने वाली महिला की बात करें तो ये चुनौतियां कई गुना बढ़ जाती हैं. बेनजीर भुट्टो ने मां बनने के दौरान पेश आई ऐसी ही मुश्किल परिस्थितियों का जिक्र अपनी आत्मकथा में किया है. राजपाल प्रकाशन द्वारा हिंदी में प्रकाशित उनकी आत्मकथा ‘मेरी आपबीती’ के नीचे दिए गए इस अंश को पढ़कर यह भी पता चलता है कि पाकिस्तान जैसे पुरुष प्रधान और रूढ़िवादी देश में बेनज़ीर के लिए राजनीति में आगे बढ़ना भी अपने आप में कितना मुश्किल था.
मैंने जितनी भी राजनीतिक लड़ाइयां लड़ीं, उनका कुछ न कुछ उद्देश्य था. उनका उद्देश्य सामाजिक न्याय और उदारवाद के पक्ष में ठहरता था. सचमुच ये मुद्दे ऐसे हैं, जिनके लिए लड़ा ही जाना चाहिए. लेकिन, मुझे ऐसा लगता है कि मेरी राजनीतिक यात्रा ज्यादा चुनौती भरी इसलिए रही है क्योंकि मैं एक औरत हूं. यह साफ है कि आज के समय में एक औरत के लिए, चाहे वह कहीं भी रह रही हो, यह आसान काम नहीं है. फिर भी, हम औरतों को जी-तोड़ मेहनत करके यह सिद्ध कर देना है कि हम पुरुषों से किसी भी मायने में कमतर नहीं हैं.