Home न्यूज़ तो क्या फीकी रह गयी RSS की सकंल्प रथ यात्रा !

तो क्या फीकी रह गयी RSS की सकंल्प रथ यात्रा !

नीतीश गुप्ता

गोरखपुर।

आज दिल्ली के झंडेवालान मंदिर से राम मंदिर निर्माण के लिए रथ यात्रा निकाली गयी जिसका नाम दिया गया “संकल्प यात्रा”. ये यात्रा आरएसएस द्वारा निकाली गयी थी जिसे प्रांत संघचालक कुलभूषण आहूजा ने हरी झंडी दिखा कर झंडेवालान मंदिर से रवाना किया।

आपको बता दे ये यात्रा पूरे दिल्ली में 9 दिनों तक चलेगी जिसके बाद इसका समापन दिल्ली के रामलीला मैदान में 9 दिसंबर को खत्म होगा. आज के इस रथ यात्रा में ये आशंका जताई जा रही थी कि लाखों लोग इसमें सम्मलित होकर राम मंदिर निर्माण के लिए सरकार को चुनौती देंगे।

लेकिन आज के इस संकल्प यात्रा में मुश्किल से 100 लोग भी नहीं शामिल हुए. ऐसा लगता है जैसे लोगों को अब राम मंदिर में कोई इंटरेस्ट ही ना रह गया हो. इससे पहले बीते 25 नवंबर को अयोध्या में तमाम हिन्दू संघठन शिवसेना, विश्व हिन्दू परिषद, सहित संत समाज एकजुट होकर राम मंदिर निर्माण के लिए धर्म सभा की थी. इसके लिए खुद शिवसेना प्रमुख उद्दव ठाकरे भी अपने परिवार संग चार्टेड प्लेन से अयोध्या पहुंचे थे।

इस धर्म सभा में हिस्सा लेने के लिए देश भर के अलग अलग राज्यों से राम भक्त इकठ्ठा हुए थे जहाँ उन्होंने अपना दम खम दिखाया. इस भीड़ को देखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किया था. इस धर्मसभा को देखते हुए पूरे जिले में धारा 144 लागू की गयी थी यहीं नहीं पूरे जिले में लगभग 70 हज़ार सुरक्षा कर्मी तैनात थे. उस धर्मसभा से सभी हिन्दू संघठनो ने सरकार को चेताया था कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले संसद में अध्यादेश लाकर राम मंदिर निर्माण करे. यहीं नहीं शिवसेना प्रमुख उद्दव ठाकरे ने तो मोदी सरकार की तुलना रावण के भाई कुम्भकरण से की थी और बोला था कि हम सब आज इकठ्ठा होकर उस कुम्भकरण को जगाने आये है जो पिछले साढ़े चार साल से सो रही है।

उन्होंने मोदी सरकार को धमकी देते हुए कहा था कि सरकार जल्द ही अपने वादे को पूरा करे वरना इस चुनाव में जनता उनको जड़ से उखाड़ फेकेगी. मोदी सरकार से संघ की नाराजगी कुछ इस कदर है कि खुद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मोदी सरकार को आड़े हाथो लिया है उन्होंने बयान दिया है कि धैर्य का समय अब खत्म हुआ और अगर उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मामला उच्चतम न्यायालय की प्राथमिकता में नहीं है तो मंदिर निर्माण कार्य के लिये कानून लाना चाहिए. उन्होंने कहा था, ‘एक साल पहले मैंने स्वयं कहा था कि धैर्य रखें. अब मैं ही कह रहा हूं कि धैर्य से काम नहीं होगा. अब हमें लोगों को एकजुट करने की जरूरत है।

अब हमें कानून की मांग करनी चाहिए.” जिस तरिके से तमाम संघठन इकठ्ठा होकर सरकार पर
1-राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाने का दबाव बना रही है तो देखना होगा कि क्या मोदी सरकार इस पर कोई कदम उठाती है ?
2-क्या मोदी सरकार लोकसभा चुनाव से पहले अध्यादेश लाकर राम मंदिर निर्माण के लिए कोई कदम उठाएगी?
अब आगे जो भी हो ये तो देखने वाली बात होगी लेकिन एक बात तो तय है कि अगर मोदी सरकार इस बारी राम मंदिर निर्माण को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाती है तो उसको आगामी लोकसभा चुनाव में इसका ख़ामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

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