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कुछ ऐसी थी पर्रिकर की ‘मनोहर’ यादें, पढ़कर आपकी भी आँखे हो जाएगी नम

गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर अब इस दुनिया में नहीं रहें. वे लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे. पिछले कुछ दिनों से उनकी परेशानी बढ़ गई थी. इसके बाद उन्हें गोवा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. डॉक्टरों ने उनकी हालत सुधारने की कोशिश की, लेकिन उनकी स्थिति लगातार गिरती गई. उनके निधन पर पुरे देश गम में डूब गया है. राजनीति, सिनेमा, खेल और कला जगत से जुड़ी हस्तियों ने गहरा दुख जताया है. गोवा के मुख्यमंत्री और देश के रक्षा मंत्री रहे मनोहर पर्रिकर सियासत में सादगी की जीता जागता मिसाल थे. मनोहर पर्रिकर ने मुख्यमंत्री पद की शपथ 14 मार्च 2017 को ली थी. इससे पहले भी वह 2000 से 2005 तक और 2012 से 2014 तक गोवा के मुख्यमंत्री के साथ ही वे बिजनेस सलाहकार समिति के सदस्य भी थे. 2014 में उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देकर भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार में रक्षा मंत्री का पदभार ग्रहण किया. वे पहले ऐसे भारतीय मुख्यमंत्री है, जिन्होंने आई आई टी से स्नातक किया था.

मनोहर पर्रिकर का नाता भारत के गोवा राज्य से था और इनका जन्म इस राज्य के मापुसा गांव में साल 1955 में हुआ था. वहीं इस राज्य के लोयोला हाई स्कूल से उन्होंने अपनी शिक्षा हासिल की थी. अपनी 12 वीं की पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्होंने मुंबई में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में दाखिला लिया था और यहां से उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी.

पर्रिकर अपने स्कूल के दिनों से ही (आरएसएस) में शामिल हो गए थे. अपनी पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने आरएसएस की युवा शाखा के लिए भी काम करना शुरू कर दिया था. वहीं स्कूल से पास होने के बाद उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू कर दी. वहीं अपनी ये पढ़ाई पूरी करने के बाद एक बार फिर उन्होंने आरएसएस को अपनी सेवा देना शुरू कर दिया था. जिसके बाद उन्हें बीजेपी का सदस्य बनने का मौका मिला और उन्होंने बीजेपी की तरफ से पहली बार चुनाव भी लड़ा.

साल 2000 में गोवा में हुए विधान सभा चुनावों में बीजेपी पार्टी को लोगों का साथ मिला और बीजेपी को गोवा की सत्ता में आने का मौका मिला. वहीं सत्ता में आते ही बीजेपी पार्टी ने इस राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर पर्रिकर को चुना.

24 अक्टूबर को पर्रिकर ने बतौर गोवा का मुख्यमंत्री बन अपना कार्य शुरू कर दिया. हालांकि पर्रिकर के परिवार के हालात उस वक्त सही नहीं चल रहे थे और उनकी पत्नी कैंसर से ग्रस्त थी. पर्रिकर के मुख्यमंत्री बनने के ठीक एक साल बाद उनकी पत्नी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. पत्नी के जाने के बाद पर्रिकर ने गोवा के मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ अपने बच्चों की जिम्मेदारी भी बहुत अच्छे तरीके से निभाई.

लेकिन किन्हीं कारणों से उनका ये कार्यकाल ज्यादा समय तक नहीं चल पाया और 27 फरवरी 2002 को उन्हें अपनी ये कुर्सी छोड़नी पड़ी. 5 जून 2002 को फिर से उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया. साल 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हार मिली और पर्रिकर को मुख्यमंत्री के पद को छोड़ना पड़ा. जिसके बाद बीजेपी पार्टी को साल 2012 में गोवा में हुए चुनाव में फिर जीत मिली और फिर से बीजेपी ने पर्रिकर को मुख्यमंत्री बना दिया. 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी पार्टी को जीत मिली और पार्टी केंद्र में अपनी सरकार बनाने में कामयाब हुई.जब देश के रक्षा मंत्री को चुनने की बारी आई, तो बीजेपी की पहली पसंद पर्रिकर बने और उन्होंने देश का रक्षा मंत्री बना दिया गया.

देश के रक्षा मंत्री बनने के लिए पर्रिकर को अपना मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा और उनकी जगह लक्ष्मीकांत को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया. साल 2017 में एक बार पुनः गोवा में विधानसभा के चुनाव हुए और इन चुनावों में फिर से बीजेपी की जीत हुई. वहीं गोवा के विधायकों ने अपने राज्य के लिए पर्रिकर को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा. जिसके चलते पर्रिकर को अपना रक्षा मंत्री पद छोड़ना पड़ा और वो गोवा के मुख्यमंत्री पद को संभालने गोवा वापस आ गए.

गोवा के मुख्यमंत्री होने के बाद भी पर्रिकर ने अपने रहन-सहन में जरा भी बदलाव नहीं किया. कहा जाता है कि वो अपने राज्य की विधान सभा खुद स्कूटर चलाकर जाया करते थे. इतना ही नहीं उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद भी अपने घर को नहीं छोड़ा और सरकार द्वारा दिए गए घर में नहीं गए. मनोहर पर्रिकर की इसी सादगी के सभी कायल थे और उन्हें पसंद भी करते थे आज भले ही मनोहर पर्रिकर हमारे बीच नहीं हैं मगर उनकी यादें और बातें हमेशा लोगों के दिल में जिन्दा रहेगी.

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