राखी श्रीवास्तव के हत्या में एसटीएफ की ओर से गिरफ्तार किए गए आर्यन हॉस्पिटल के मालिक डॉक्टर डीपी सिंह की करतूत की बानगी बहुत लम्बी है। इतनी लंबी जिससे इंसान का माथा ठनक जाए। जिनको यानी डॉक्टर को धरती पर लोगो द्धारा भगवान का दर्जा दिया जाता है वह कितना हैवान है ।शहर में समाज सेवा के नाम पर इसके कई चेहरे देखने को आपको मिल जाएंगे,लेकिन एसटीएफ के पटखनी के बाद हत्या का आरोपी यह शख्स फिलहाल शांत मुद्रा में है। आर्यन हॉस्पिटल की शुरुवात भी इसने बहुत चतुराई से की थी।

लोगों की माने तो इसके हॉस्पिटल पर मरीज भी नहीं आते थे, मरीज आये इसके लिए इसने रिक्शे वालो, झोला छाप डॉक्टरों को और दलालों को कमीशन देता था यह लोग कमीशन पाकर भोले भाले मरीज भेजते थे और इस हॉस्पिटल में आने के बाद वह मरीजो से ज्यादा पैसा लेता था। लाचार मरीज और उसके परिवारजन भी बेचारे यहां आने के बाद ठगा हुआ महसूस करते थे। उनके पास विकल्प के सारे दरवाजे बंद हो जाते है। यही नहीं डीपी सिंह डॉक्टरी के साथ साथ माफियागिरी भी करता था। कोई साथी डॉक्टर अपना बकाया पैसा मांगने का मजाल करे तो वह अपने गुंडों से उस डॉक्टर को पिटवाता भी था। कुछ साल पहले एक डॉक्टर ने अपना बकाया पैसा मांगा तो डीपी उसके घर पर अपने गुंडों को भेजकर उसकी मरम्मत करा दी। घटनाक्रम कुछ इस प्रकार था-
डॉक्टर आर्यन हॉस्पिटल का आंनकॉल डॉक्टर था औऱ उसका 1 लाख रुपया बकाया था और वह डीपी सिंह से वह पैसा मांगने लगा डीपी के नही देने पर उस डॉक्टर का कोई परिचित आर्यन हॉस्पिटल में इलाज कराने आया उसका टोटल बिल सत्तर हजार बना उसके बाद डॉक्टर ने डीपी सिंह से यह पेशकश किया कि हम अपना सत्तर हजार रुपया काट ले रहा हूं बाकी का 30 हजार आप हमें दे दीजिए। यह बात डीपी को इतनी नागवार गुजरी की उसने अपने गुंडों से उस डॉक्टर की जमकर धुनाई करवा दी। डीपी डॉक्टर तो जरूर था लेकिन उसका शातिर दिमाग और पैसे और ग्लैमर के चक्कर मे डॉक्टर के भगवान वाले रूप से हैवान बना दिया। खैर अब तो अपने गन्दे करतूतों के चलते डॉक्टर सलाखों के पीछे है, अब देखना होगा उसको अपने किये गए गलती का अहसास होता है या नहीं?