खुशियों और रोशनी से भरा त्योहार दीवाली,इस दिन सभी माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा अर्चना करते हैं। मान्यता तो यह है कि इस दिन भगवान राम सीता जी के साथ वनवास काट कर वापस अयोध्या लौटे थे जिसके खुशी में लोगों ने दीप जलाये थे और तभी से दीवाली मनाई जाती हैं। उस समय लोगों ने दीवाली मिट्टी के दिये से मनाई थी पर अब जमाना कुछ और हैं शायद इसीलिए अब लोग मिट्टी के दिये छोड़ चाइनीज लाइट जला दीवाली मनाते हैं।
अब तो बाजारों में मिट्टी के दिये भी बड़ी मुश्किल से दिखते हैं,दीये बेचने वाले भी ये उम्मीद लगाए रहते हैं कि शायद कोई भुला भटका आएगा और उनके दियों को खरीदेगा। पर अब लोगों को इतना समय कहाँ की वो बाजार जाकर मिट्टी के दिये खरीदे उनमे तेल या घी डालकर उसे जलाये। आजकल के भागते दौड़ते जिंदगी में त्यौहार भी एक फैशन सा हो गया है,बस बाजार गए, चीजे खरीदे और मन गयी दीवाली। चाइनीज लाइट ने घरों को तो जगमगा दिया लेकिन आज कितने कुम्हारो के घरों का रोजगार भी छीन लिया।
जिससे परेशान होकर कितने कुम्हार अपना पेशा बदलकर देश विदेश जाकर मजदूरी करने लगे तथा कुछ कुम्हार आज भी हार नही माने आज भी मिट्टी के दिये और मिट्टी की बर्तनों को बना रहे है और बाजारों, घरो तक जा जा कर कम पैसो में दियो को बेचकर अपना पेट भर रहे है । गौरतलब है कि एक तरफ तो मोदी सरकार चाइनीज सामान के बायकाट की बात करती है और वहीं दूसरी तरफ दिवाली आते ही पूरे बाजारों में चाइनीज सामानों की भरमार लग जाती हैं।हालांकि मोदी सरकार ने कुम्हारों को लेकर हर चुनाव में तमाम बड़े वादे किये पर असल सच क्या हैंए किसी से भी छिपा नहीं हैं।